Monday 15 October 2012

education system

 मुझे एक बात समझ नही आती की  आज कल के  बड़े से लेकर छोटे स्कूल का ध्येय क्या है , क्या करना चाहते हैं ,उनके लिए स्टूडेंट्स की अहमियत क्या है वो आज की पीढ़ी के साथ क्या कर रहे हैं,  मैं आज कल  के जितने भी स्टूडेंट से मिला हूँ ,उनका  एक ही  कहना  है की उनके स्कूल में हर सब्जेक्ट के प्रशन को रटने के लिए कहा जाता है,एग्जाम में रट  कर पास हो जाने के लिए कहा जाता है, यहाँ तक की विज्ञानं  एवं गणित जैसे विषय  को भी, इसे हद्द ही कहेंगे  या फिर  क्या कहेंगे .?
इन बड़े बड़े स्कूल में पढाई के लिए बहुत मोटी  रकम  तो वसूली जाती है पर  वहां सिर्फ  होता है तो व्यवसाय शिक्षा का मगर पढाई नही, ऐसे में अगर ये बच्चे अपने सोच   से कुछ एग्जाम में लिख आयें  तो उनका मार्कस ही कट लिया जाता है।और  तो और बच्चों के पेरेंट्स भी बच्चों को इसी  की   की सलाह देते हैं की जैसे  भी हो % लाओ रट के हो या किसी तरह  से, मुझे तो यहाँ तक पता चला  है की जो टीचर स्कूल में पढ़ाते हैं वो अपने घर पे कोचिंग भी चलते हैं और जो स्टूडेंट उनके कोचिंग में नही पढ़ते हैं उन स्टूडेंट को मार्कस कम दे दिया जाता है,मजबूरन स्टूडेंट्स को ऐसे कोचिंग में पढना पढता है,

ऐसे में अगर ये कहा जाये जो नारायण मूर्ति जी की चिंता है की IIT में अब इंजिनियर नही पहुच रहे जिनके अन्दर कुछ नया विकसित  करने का जज्बा कम और प्लेसमेंट की चिंता ज्यादा रहती है 
इसका सबसे बड़ा कारण  इन स्टूडेंट का बेस  ही ख़राब होना है ,वो स्कूल से ही रट कर के प्रश्नोत्तर करते हैं तो प्रतियोगिता परीक्षा में क्या करेंगे। उनके अन्दर सोच ही विकसित  नही होने दिया जाता है, इसे एक तरह से शिक्षा का स्कूल द्वारा भ्रूण हत्या करना ही कहेंगे आज की पीढ़ी को जो सिखाया जाता है वो ही तो वो आगे चल कर करेंगे।इसलिए ही आज ढूँढने पर भी आचे टीचर अवाम फैकल्टी कम ही मिलते हैं।
मैं  कल डॉ विक्रम साराभाई के बारे में पढ़ रहा था जिनके कारण  आज भारत का अपना स्पेस आर्गेनाईजेशन ISRO  है, थुम्बा जैसा नाम है। उनके पिताजी को यहाँ  के एजुकेशन सिस्टम पर कतई  विश्वास नहीं था इसलिए उन्होंने अपने कैंपस में ही साराभाई के लिए स्कूल खोल दिया जिसमे  पढाई इनोवेटिव तरीके से हो सके  और आज हम सभी जानते हैं की साराभाई का भारत में विज्ञानं को बढ़ावा देने   में क्या योगदान है ,

साराभाई का  खुद से ही मानना  था की हमारे देश का एजुकेशन सिस्टम सही नही है, एजुकेशन इनोवेटिव एवं  प्रैक्टिकल होनी चाहिए थी।
मगर मैं  यहाँ ये कहना चाहूँगा की डॉ विक्रम साराभाई के तरह  हर स्टूडेंट पर एक स्कूल तो नही हो सकता मगर ये जो एजुकेशन सिस्टम है इसमें अगर स्टूडेंट को शिक्षा देने की थोड़ी भी भावना आ जाये तो इससे बेहतर कुछ भी नही हो सकता।इससे हमारे देश में फिर से वैज्ञानिकों की फसल उग सकती है।

हमारे पेरेंट्स को समझना चाहिए की एजुकेशन बेहतर FACALITY  से नही सही मार्ग दर्शन अवाम शिक्षा  से मिलती है। जो शायद  आज के एजुकेशन को बेचने वाले दुकान में अब कम ही मिलती है।
और ऐसे में हमारे पेरेंट्स अपने बच्चों से साइंटिस्ट बनाने   की कामना तो नहीं ही रख सकते।
THANX

Thursday 30 August 2012

kuchtokehnahichahiye: kaha hum aur kahan wo

इस बार फिर से विद्यार्थियों की एक नयी खेप पटना, कोटा,देल्ही आदि शहरों के तरफ आ चुकी है| जो की अपने आँखों में iit-jee को क्रैक करने के सपने लिए हुए है| इनकी संख्या सिर्फ पटना में लगभग १ लाख के आसपास होगी एवं अन्य सहरों में उससे भी ज्यादा| iit एवं nit को मिलाने के बाद लगभग ४०,००० सिट ही उपलब्ध  हैं | मैं यहाँ ये नही कहना चाहता की विद्यार्थियों को प्रयास नही करनी करनी चाहिए ,मगर मैं यहाँ ये ज़रूर कहना चाहूँगा की विद्याथी आज जिस तरह से iit-jee exam को हौवा बनाया है वह सोचनीय है ।हमारे देश में आज  इंजीनियरिंग कॉलेज की कमी नही है मगर यहाँ पढने वाले लाखों स्टुडेंट  में सिर्फ १६% ही रियल इंजिनियर तैयार हो रहे हैं बाकि सायद ३-idiots के अनुसार मशीन या वेल ट्रेंड हो रहे हैं |यहाँ इस बात पर जोर देना चाहूँगा की अगर आप पढने वाले विद्यार्थी हैं तो आप इंजिनियर ज़रूर बन सकते हैं ,बस एक सच्ची प्रयाश करने की ज़रूरत है , कोई कॉलेज! सिर्फ आपको इंजिनियर नही वेल ट्रेंड बना सकता है ।यहाँ इस बात का भी ज़िक्र करना चाहूँगा की पिछले वर्ष NIT WARANGAL  एवं इस वर्ष ISM DHANBAD के एक -एक विद्यार्थियों ने क्रमाश 40 लाख एवं 56 लाख का PACKDGE FACEBOOK द्वारा प्राप्त किया और यहाँ एक बात और जो सोचनीय है की IIT JEE  के PROFESSORS  के चिंता की बात है की उनके कॉलेज में आने वाले टॉप RANKERS सिर्फ रेट रटाये तरीके से पहुँच रहे हैं ,क्या विज्ञानं समझने के वजाए रटने की चीज बन कर रह गयी है? जो आज के इन कोचिंग सेंटर्स वाले दुकानों में हो रही है

kaha hum aur kahan wo

इस बार फिर से विद्यार्थियों की एक नयी खेप पटना, कोटा,देल्ही आदि शहरों के तरफ आ चुकी है| जो की अपने आँखों में iit-jee को क्रैक करने के सपने लिए हुए है| इनकी संख्या सिर्फ पटना में लगभग १ लाख के आसपास होगी एवं अन्य सहरों में उससे भी ज्यादा| iit एवं nit को मिलाने के बाद लगभग ४०,००० सिट ही उपलब्ध  हैं | मैं यहाँ ये नही कहना चाहता की विद्यार्थियों को प्रयास नही करनी करनी चाहिए ,मगर मैं यहाँ ये ज़रूर कहना चाहूँगा की विद्याथी आज जिस तरह से iit-jee exam को हौवा बनाया है वह सोचनीय है ।हमारे देश में आज  इंजीनियरिंग कॉलेज की कमी नही है मगर यहाँ पढने वाले लाखों स्टुडेंट  में सिर्फ १६% ही रियल इंजिनियर तैयार हो रहे हैं बाकि सायद ३-idiots के अनुसार मशीन या वेल ट्रेंड हो रहे हैं |यहाँ इस बात पर जोर देना चाहूँगा की अगर आप पढने वाले विद्यार्थी हैं तो आप इंजिनियर ज़रूर बन सकते हैं ,बस एक सच्ची प्रयाश करने की ज़रूरत है , कोई कॉलेज! सिर्फ आपको इंजिनियर नही वेल ट्रेंड बना सकता है ।यहाँ इस बात का भी ज़िक्र करना चाहूँगा की पिछले वर्ष NIT WARANGAL  एवं इस वर्ष ISM DHANBAD के एक -एक विद्यार्थियों ने क्रमाश 40 लाख एवं 56 लाख का PACKDGE FACEBOOK द्वारा प्राप्त किया और यहाँ एक बात और जो सोचनीय है की IIT JEE  के PROFESSORS  के चिंता की बात है की उनके कॉलेज में आने वाले टॉप RANKERS सिर्फ रेट रटाये तरीके से पहुँच रहे हैं ,क्या विज्ञानं समझने के वजाए रटने की चीज बन कर रह गयी है? जो आज के इन कोचिंग सेंटर्स वाले दुकानों में हो रही है